Monday, August 15, 2011

मछलियाँ

     
      आज, मेरे  जीवन के एक और मोड़ का एक और सवेरा  है | प्रातः काल से ही मैं और मेरे दोनों नटखट इस  नयी उमंग की प्रतीक्षा में हैं | इसी ख़ुशी के चलते  मैं  फिर से कलम लेकर बैठ गयी और साथ में नटखट न0. १ भी मेरी कुर्सी के पीछे चढ़ने आ गए | सिर्फ यहाँ तक होता तो ठीक था, लेकिन  इन  साहब को तो उछल-कूद की पोटली खोलनी थी, सो मैंने डांट डपट कर  उनको कमरे से निकासित कर दिया और एकांत की याचना लिए फिर अपनी लेखनी लेकर काम शुरू किया | लेकिन महादेवी वर्मा के गिल्लू कि तरह, नटखट न०.१ फिर से मेरा ध्यान भंग करने पधार आये  और  मुझे अन्यमनस्क सा कर, किसी और अखरोट की तलाश में   अंततः चले गए|

    मेरी वर्तमान मानसिक दशा में सिर्फ  मछली पकड़ने  जैसा निश्चल काम ही किया जा सकता है | तो आज एक काम करते हैं, मछली ही पकड़ते हैं ...हमारी आज की कविता के द्वारा |

यह कविता सब बच्चों को शायद पता न हो  लेकिन इस वजह  से वह इसको और रूचि लेकर पढ़ सकते हैं  और
हिंदी व अंग्रेजी दोनों मैं याद कर सकते  हैं |

 अंग्रेजी में ऐसे बोलो :

One two three four five,
Once I caught a Fish alive,
Six seven eight nine ten,
Then I let it go again,

Why did you let it go?
'Cause it bit my finger so!
Which finger did it bite?
The little finger on the right.

 अब हिंदी में:

एक दो तीन चार पांच,
मैंने पकड़ी मछली आज,
छ: सात आठ नौ दस,
फिर पानी में छोड़ा बस,
                                            
क्यूँ तुमने छोड़ा उसको?
काट ली मेरी ऊँगली जो!
कौन सी ऊँगली काट ली!
यह छोटी वाली हाथ की |

है न अच्छी कविता ?

 मदर गूस की कितनी ही और कवितओं की तरह इस कविता की उपज इतिहास  के पन्नो से नहीं हुई है,  इसका अर्थ यह बिलकुल नहीं है की यह कविता पुरानी नहीं है बल्कि इसका पहला प्रकाशन { जानकारी अनुसार} करीब १८८८  में हुआ था पर इसे  केवल बच्चों के अध्यापन के स्त्रोत्र के रूप में बनाया गया था | जिस्से हमारे  नन्हे मुन्ने अपनी गिनती रुचिकर ढंग से सीख सकें|

इस कविता की धुन जानने के लिए इस लिंक पर जाएँ  लेकिन याद रहे मम्मी पापा की अनुमति से और उनके साथ |
http://www.youtube.com/watch?v=FKlIQADmW7o&feature=related

 मेरे एक पाठक ने  एक बहुत  अच्छा सुझाव दिया है कि मैं इन कविताओं के अलावा  हिंदी  कि और कविताओं का  भी  इस ब्लॉग के द्वारा  आदान प्रदान करूँ जिससे कि हमारे आधुनिक बाल्य इनको जान सकें और सीख सकें| मेरा मेरे सभी पाठकों से निवेदन है की वह अपने बचपन की  हिंदी कवितायेँ इस ब्लॉग की         
टिप्पणिओं  [कमेंट्स] के द्वारा सबसे बाटें|
 आज मैं आप सब से एक ऐसी कविता बाँट रहीं हूँ जो तत्काल ही  मुझे मेरे बचपन में ले जाती है और वह कविता भी मछली से प्रेरित है| क्या आपने अनुमान लगा लिया ?


मछली जल की है रानी,
जीवन उसका है पानी,
हाँथ लगाओगे डर जाएगी, 
बाहर निकालोगे मर जाएगी |

आज के लिए इतना ही,

अगली बार तक,

आपकी,

वैष्णवी |


 बच्चों के लिए कार्य:

 पुस्तकालय जा कर महादेवी वर्मा के बारे में और जानो और गिल्लू  पढो ||
  
सारे चित्र इन्टरनेट के सौजन्य से |




7 comments:

  1. ati sundar , bahut achchii bhasha

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  2. मछली रानी
    छम छम बहता देखो पानी
    उसमें तैरे मछली रानी।

    कभी भाग कर जाती नीचे
    कभी झांकती है ये ऊपर
    मुंह में अपने भरकर पानी
    खेल दिखाती मछली रानी।

    चाहे हो नदिया का पानी
    या हो समन्दर गहरा पानी
    सभी जगह पर रह लेती है
    अपनी प्यारी मछली रानी।

    नीली पीली या सतरंगी
    जल जीवों की है यह संगी
    बिन पानी के रह ना पाती
    सुन्दर प्यारी मछली रानी।

    छम छम बहता देखो पानी
    उसमें तैरे मछली रानी------
    Vashnavi,
    maine apni ye kavita apne Fulbagiya blog par 20--oct--09 ki post me publish ki thi vahan iske chitr bhi mil sakte hain.
    apne blog par kavitaon se related photos/illustration lagao to ye aur akarshak banega. dusari bat bachche chitratmak poetries/stories pasand karte hain..ye bat to tum vahan ki kitaben dekh kar janti hi hogi...
    apne blogs par kuchh blog agrigators ke link jodo ...uske madhyam se blog jyada se jyada logon tak pahunchega.
    vaise tumhara way of presentation bahut achchha hai.and one last suggation...comment box se word verification hata do to comment likhne me asani rahegi.
    best wishes.
    Hemant

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  3. Hemant Uncle
    Thankyou apni kavita share karne ke liye bahut sunder likhee hai. Aapka sujhav bhi bahut achcha hai, main aage se in baaton ka dhyaan rakhoongi, aur achche chitra dalne ka prayas karoongi jisse ki bachche akarshit hon.
    Vaishnavi

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  4. बहुत मजेदार और प्यारी पोस्ट ..... थैंक यू...

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  5. wow Vaishnavi u are great I didnt know that u also write
    keep up the good work
    Sampada.

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  6. Chaitanya sharma ji, aapke protsaahan aur pasand ka dhanyavaad.

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  7. Hey Sampada, Thanks for the encouragement, I hope the kids like it.:)

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